
कभी-कभी ओवरलोड होमवर्क और घरेलू झगड़े तनाव और पोलीयूरिया का कारण बनते हैं
कैथल, गौरव गर्ग। डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर, मास्टर्स इन फूड एंड न्यूट्रिशन डाइटिशियन, होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्म भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित ने बताया कि स्ट्रेस या चिंता में बच्चे ज्यादा पेशाब कर सकते हैं, क्योंकि तनाव के दौरान निकलने वाले हार्मोन एड्रेनालाईन और कॉर्टिसोल किडनी की कार्यप्रणाली को बढ़ा देते हैं, जिससे पेशाब की मात्रा बढ़ जाती है। कई बार बच्चों के जीवन में बड़े बदलाव होने की स्थिति में उन्हें स्ट्रेस या तनाव महसूस होने लगता है- जैसे स्कूल जाना शुरू करना, पेरेंट्स का दूसरे शहर में ट्रांसफर हो जाना या परिवार में किसी प्रकार का तनाव।अपने बच्चे से बात करें और उसके तनाव के कारणों को समझने की कोशिश करें।अगर बच्चे को तनाव हो रहा है, तो उसे शांत और आरामदायक माहौल प्रदान करें।
एक सामान्य मार्गदर्शिका के रूप में:
छोटे बच्चे (1 से 3 वर्ष की आयु): हर दो से तीन घंटे में
प्रीस्कूलर (3 से 5 वर्ष की आयु): प्रतिदिन लगभग सात से नौ बार
स्कूल जाने वाले बच्चे (6 वर्ष से अधिक आयु के): प्रतिदिन लगभग छह से आठ बार।
बार-बार पेशाब आने से रोकने के लिए जीवनशैली और आहार में बदलाव लाना ज़रूरी होता है।चीजें ना खांए-ऐसे पदार्थ जो शक्कर डाल के बनते हैं, उन्हें यूरिन इन्फेक्शन के दौरान नहीं खाना चाहिए। मीठे से बने प्रदार्थ मूत्र के रास्ते में बैक्टीरिया को ब्रीडिंग करने की सहूलियत देते है। इसलिए यूरिन इन्फेक्शन के दौरान केक, कुकीज, कार्बोनेटेउ डिंक और मिठाईं से परहेज करना चाहिए। चीनी से बने पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।कॉफी-यूरिन इन्फेक्शन में कॉफी से भी तौबा कर लेना चाहिए। कॉफी से यूरिन इन्फेक्शन कम होने के बजाय फैलेगा। कॉफी की जगह आप हर्बल टी का उपयोग कर सकते है।संतुलित भोजन– इन सभी के साथ-साथ शराब से भी दूरी बना लें और मिर्च-मसाले, गुड़, खटाई और तेल से बनी चीजों की तरफ देखें भी नही। जितना सादा भोजन करेंगे उतना अच्छा है।मसालेदार खाना-मिर्च-मसाले वाला भोजन यूरिन इन्फेक्शन की स्थिति को और गंभीर बना देता है। यह ज्यादा जलन और दर्द पैदा करता है। इसलिए समस्या के दौरान जितना हो सके सादा भोजन ही ग्रहण करें।
