
भाविका पार्थ हिंदुस्तानी के साथ बच्चों के मुख्यमंत्री जी से सवाल
गुरुग्राम, गौरव गर्ग, 6 जनवरी।गली में गाड़ियां खड़ी होती है, पार्क में खेलने नहीं देते और ग्राउंड पैसे देकर बुक करना पड़ता है। गुरुग्राम के बच्चों के लिए यह एक कड़वी सच्चाई है कि मिलेनियम सिटी जैसे शहर के अंदर बच्चों के पास फ्री में खेलने के लिए कोई ऐसा ग्राउंड नहीं है जहां वे छुट्टी वाले दिन खेल सके
गुरुग्राम में केवल एक लेजर वैली ग्राउंड ही ऐसा ग्राउंड था सेक्टर 29 के अंदर जहां बच्चे छुट्टी वाले दिन जाकर के क्रिकेट फुटबॉल वगैरा खेल लिया करते थे लेकिन प्रशासन की लापरवाही और सरकार की अनदेखी की वजह से आज वह इतना बड़ा ग्राउंड भी डंप यार्ड बन गया है जहां पर लोग अब कूड़ा कचरा फेंकने लगे हैं और पॉल्यूशन इतना ज्यादा हो गया है कि सांस लेना बड़ा मुश्किल है ऐसे में बच्चे खेल तो कहां खेल और बच्चों के पास केवल अब एक ऑप्शन बचा है मोबाइल।
एक तरफ तो सरकार यह नारा देती है फिट इंडिया और खेलो इंडिया जैसे नारे देती है और दूसरी तरफ गुरुग्राम जैसे शहर के अंदर बच्चों से उनके खेलने के लिए ग्राउंड तक छीन लेती है और कहती है कि खेलना है तो मोबाइल में खेलो या किसी अकादमी में पैसे देकर के खेलो या ग्राउंड के अंदर 10000 12000 रुपया देकर बुक कर करके आप खेल सकते हैं या फिर वीडियो गेम में खेल सकते हैं हमारे पास आपके लिए कोई ऐसा ग्राउंड नहीं है जहां पर आप खेल सकते हो।
जो बच्चे और माता-पिता यह ग्राउंड का खर्च बहन कर सकते हैं उनके लिए तो ठीक लेकिन जो बच्चे और युवा पैसे नहीं दे सकते उनका क्या।
आज भी गुरुग्राम के अंदर बहुत से युवा सिर्फ इसीलिए क्रिकेट खेलना छोड़ चुके हैं क्योंकि गुरुग्राम में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां पर वह फ्री में क्रिकेट खेल सके
क्या सड़की बना देना फ्लावर बना देना अंडरपास बना देना बड़ी-बड़ी इमारतें बना देना क्या इसी को विकास कहते हैं? क्या बच्चे इन पर खेल सकते हैं? विकास की आड़ में बच्चों का बचपना छीन जा रहा है। इतनी गंभीर समस्या है लेकिन सरकार को तो शायद यह समस्या ही नहीं लगती