डीटीपी विभाग पर बड़े बिल्डर डीएलएफ लिमिटेड के अवैध निर्माणों की अनदेखी का आरोप, मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

ईडब्ल्यूएस निवासियों के खिलाफ सख्ती, डीएलएफ पर मेहरबानी
निवासियों ने बताया कि डीएलएफ लिमिटेड ने “द ग्रोव” प्रोजेक्ट के बेसमेंट में अवैध रूप से वॉशरूम और सर्वेंट क्वार्टर बनाए हैं। इतना ही नहीं, डीएलएफ द्वारा बनाए गए अवैध बिल्डर फ्लोर जिनमें भारी निर्माण उल्लंघन हुए हैं, उन पर भी डीटीपी विभाग ने कोई नोटिस जारी नहीं किया। वहीं, ईडब्ल्यूएस के घरों पर ध्वस्तीकरण और सीलिंग की कार्रवाई जारी है।
रखरखाव शुल्क के बावजूद सुविधाओं का अभाव
ईडब्ल्यूएस निवासियों ने शिकायत की कि डीएलएफ को नियमित मेंटेनेंस चार्ज देने के बावजूद क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। उनकी मुख्य शिकायतें हैं:
टूटी-फूटी सड़कें, जिनकी मरम्मत नहीं की जा रही।
खराब स्ट्रीट लाइट्स, जिससे रात के समय सुरक्षा संकट।
ईडब्ल्यूएस के लिए पार्क की एंट्री पर रोक।
रास्तों पर रोक और अवैध बैरिकेडिंग
निवासियों ने कहा कि डीएलएफ की निजी सुरक्षा और बाउंसरों ने अवैध बूम बैरियर लगाकर ईडब्ल्यूएस निवासियों की आवाजाही बाधित कर दी है। तीन में से दो रास्ते बंद कर दिए गए हैं और जो एक रास्ता खुला है, वह भी केवल 3.5 मीटर चौड़ा रह गया है। इससे आपात स्थिति में एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसी सेवाओं के लिए भी खतरा है।
सुरक्षा और पर्यावरण मानकों का उल्लंघन
ग्रीन बेल्ट पर अवैध डीजल जेनरेटर और इलेक्ट्रिक पैनल लगाए गए हैं, जो पर्यावरण और सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते हैं। साथ ही डीएलएफ मॉल निर्माण कार्य में भी कोई सुरक्षा उपाय नहीं किए गए हैं, जिससे स्थानीय लोगों को खतरा है।
सुप्रीम कोर्ट में मामला, याचिका दायर
ईडब्ल्यूएस निवासियों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP No. 12951/2025) दायर की है। निवासियों ने आग्रह किया है कि सुप्रीम कोर्ट में अंतिम फैसला आने तक डीटीपी विभाग कोई जबरदस्ती की कार्रवाई न करे।
डीटीपी विभाग से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग
सिविल राइट्स रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन” के महासचिव दिलीप कुमार वांगू ने डीटीपी विभाग से अनुरोध किया है कि डीएलएफ द्वारा फेज-5 में किए गए सभी अवैध निर्माणों को तत्काल हटाया जाए। साथ ही, 18 मीटर चौड़ी मुख्य सड़क को पूरी तरह खोलने और हाईकोर्ट को 19 अप्रैल 2025 तक रिपोर्ट सौंपने की मांग की है।
न्याय और समानता की मांग
निवासियों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि कानून सबके लिए बराबर लागू हो, ताकि बड़े बिल्डरों को संरक्षण देकर आम नागरिकों के हक न छीने जाएं।
अब सभी की निगाहें डीटीपी विभाग, हरियाणा सरकार और प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
यह समाचार रिपोर्ट विशेष रूप से सामाजिक और नागरिक अधिकारों के मुद्दे को उजागर करने हेतु तैयार की गई है।)