

गुरुग्राम, गौरव गर्ग, 28 जून । वर्ल्ड स्कोलियोसिस डे के अवसर पर आर्टेमिस हॉस्पिटल ने स्कोलियोसिस के प्रति जागरूकता बढ़ाने, उसकी समय पर पहचान करने और उन्नत इलाज प्रदान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। स्कोलियोसिस, जो रीढ़ की हड्डी का एक तरफ झुकाव है, विश्वभर में किशोरों के लगभग 2–3% को प्रभावित करता है, लेकिन कई मामलों की पहचान तब तक नहीं हो पाती जब तक समस्या गंभीर न हो जाए।
आर्टेमिस हॉस्पिटल के ऑर्थो स्पाइन सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. हितेश गर्ग ने कहा, “यदि समय पर जांच हो जाए, तो 85% से अधिक हल्के स्कोलियोसिस के मामलों का बिना सर्जरी के इलाज संभव है। हमारा उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा या वयस्क देर से पहचान के कारण पीड़ा न झेले।”
इस अवसर पर आर्टेमिस हॉस्पिटल द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं:
बच्चों और किशोरों के लिए मुफ्त रीढ़ की हड्डी की जांच शिविर
ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञों के साथ इंटरएक्टिव सवाल-जवाब सत्र
सोशल मीडिया के ज़रिए जागरूकता अभियान
हॉस्पिटल ने माता-पिता, स्कूलों और देखभाल करने वालों से अपील की है कि वे बच्चों की रीढ़ की हड्डी की नियमित जांच करवाएं, खासकर किशोरावस्था के दौरान, जब शारीरिक विकास तेज़ी से होता है।
आर्टेमिस उन्नत जांच तकनीकों और मल्टीडिसिप्लिनरी देखभाल के साथ प्रत्येक मरीज़ को व्यक्तिगत और प्रभावी उपचार प्रदान करता है।
