
बरसाती पानी की निकासी के प्रबंध करने में फेल हो चुकी है सरकारकागजों में योजनाएं बनती हैं, धरातल पर नहीं होता कुछ काम
कागजों में योजनाएं बनती हैं, धरातल पर नहीं होता कुछ काम
गुरुग्राम, गौरव गर्ग । कांग्रेस के जिला अध्यक्ष (शहरी) पंकज डावर ने गुडग़ांव में भारी जलभराव को लेकर सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि कैब की तर्ज पर अब सरकार को किश्तियों के भी लाइसेंस देने शुरू करने चाहिए। क्योंकि जलभराव से मुक्ति दिलाना सरकार के बस की बात रही नहीं। लाख दावों के बाद भी यहां बरसात में जलभराव होना, जाम होना लाजिमी हो गया है।
सोमवार दोपहर बाद हुई बरसात से हुए जलभराव और फिर कई किलोमीटर तक लगे जाम में फंसे वाहनों को लेकर पंकज डावर ने कहा कि ये सब लोग बिना किसी कुसूर के दिक्कतें झेलते रहे। जाम में घंटों तक फंसे रहे। लोगों की सांसें अटकीं रही। एक तरफ घर वाले परेशान तो दूसरी तरफ जाम में गाडिय़ों, बाइक पर फंसे लोग परेशान। दूसरे राज्यों, विदेशों से आकर गुरुग्राम में रह रहे लोगों ने ऐसे गुरुग्राम की कभी कल्पना नहीं की होगी। अगर की जाती तो वे इस तरफ मुंह भी नहीं करते। पंकज डावर ने कहा कि सरकार को भारी-भरकम राजस्व देकर खजाना भरने वाले लोगों को सरकार क्यों नहीं अच्छा माहौल दे पा रही है। क्यों नहीं जलरहित शहर दे पा रही है। क्यों नहीं स्वच्छ शहर दे पा रही है। क्यों नहीं पर्याप्त सुविधाएं दे पा रही है। नगर निगम भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। दावे खूब किए जाते हैं, मगर काम के नाम पर नगर निगम नकारा साबित हो रहा है। गुडग़ांव के विकास के नाम पर गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) का गठन किया गया था। जीएमडीए भी शहर के विकास के मामले में फेल हो गया। यहां के अधिकारियों ने भी शहर को सुविधाएं देने में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। पिछले साल दिखावे के लिए बरसात के बीच सडक़ जरूर बनानी शुरू की थी। जलभराव को लेकर पंकज डावर ने कहा कि जिस तरह से यहां यात्रियों को ढोने के लिए कैब चल रही हैं, उसी तरह से अब सरकार यहां किश्तियां भी चलवाए। लोग किराया देकर अपने घर तो पहुंच जाएंगें।
कांग्रेस जिला अध्यक्ष (शहरी) पंकज डावर ने कहा कि गुरुग्राम को सपनों का नगर समझकर आने वाले लोग यहां खुद को ठगा सा महसूस करते हैं। टूटी सडक़ें, फैली गंदगी ही इस शहर का पहचान बन गई है। प्रदेश के मुखिया को गुरुग्राम की जनता से कोई लेना-देना नहीं है। वे यहां आकर भी गुरुग्राम की समस्याओं को देखना नहीं चाहते। यहां के जनप्रतिनिधि तो चुनाव के बाद से जनता के बीच नजर ही नहीं आए। वे अपनी पार्टी की बैठकों में जरूर जाते हैं, लेकिन गुरुग्राम सड़ता रहे, डूबता रहे, उन्हें कोई चिंता नहीं है। वे 100 दिन में गुडग़ांव की किस्मत बदलने का चुनाव में दावा करते थे, लेकिन उनकी यह बात जुमला साबित हुई। कायदे से उन्हें जलभराव जैसी स्थिति और जनसमस्याओं को लेकर फ्रंट लाइन में आकर काम करना चाहिए। वे शायद जनता से कोई इत्तेफाक नहीं रखते। विपक्ष जनता की समस्याओं को प्रशासन, सरकार तक पहुंचाता है, लेकिन सरकार और प्रशासन किसी समस्या के जड़ से समाधान के लिए काम नहीं करता। मीडिया में रोजाना कोई ना कोई समस्या उठाई जाती है। फिर भी अधिकारी आंख मूंदे बैठे रहते हैं। सडक़ें बनाने के दावे खूब किए जा रहे हैं, मगर सडक़ों का काम कुछ नहीं हो रहा। कुछ हुआ तो वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।